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Image-tutata huaa tara-shayari ka khajana |
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता हैं,
क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता हैं...
क्यों कभी किसी के काबिल न हो सका
खुसी में खुद अपनी शामिल न हो सका
वो दाखिल होता गया मुझ में हर दफा
में अपनी ही दिल में दाखिल न हो सका..
कसम से सब्र की इन्तहा हो चली है
दर्द ऐ दिल कहना हैं अब मुस्किल
और ये आँखे वीरान हो चली हैं...
कब तक करेंगे इंतजार अब तो जान भी जाने लगी
मह पे तरस खाके अब तो मौत भी पास आने लगी..
खामोश लबो पर भी राज़ कुच गहरे होते हैं
मुस्कराहट के पीछे भी जखम गेहरे होते हैं...